ब्लैक फंगस क्या है? इसका इलाज क्या है? इसका बचाव क्या है? What is Black Fungus?

ब्लैक फंगस (BLACK FUNGAS)

कोरोना महामारी से लड़ रहे भारत में लगभग एक और महा-मारी "ब्लैक फंगस" की शुरुआत हो गई हैं | आज ही राजस्थान सरकार ने "ब्लैक फंगस" को अपने राज्ये में इसे महामारी घोषित कर दिया हैं| 


ब्लैक फंगस क्या हैं?

Mucormycosis एक आक्रामक संक्रमण है जो mucormycetes नामक साँचे के एक वर्ग के कारण होता है। ये कवक सर्वव्यापी हैं, स्वाभाविक रूप से हमारे पर्यावरण में पाए जाते हैं, आमतौर पर मिट्टी में। मनुष्य को यह संक्रमण हवा में और धूल में तैरते हुए कवक के बीजाणुओं को अंदर लेने से होता है।




किसको ब्लैक फंगस से ज्यादा ख़तरा हैं ?

स्वास्थ्य विशेषयज्ञों के मुताबकी शुगर से पीड़ित और स्टेरॉयड ज्यादा लेने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा कही ज्यादा हैं | खासकर कोरोना से उबरे लोगों को लक्षण पर निगरानी रखनी होगी। लक्षण मिलते ही इलाज शुरू होने पर बीमारी से बचाव संभव है। एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रविकांत के मुताबिक अनियंत्रित डायबिटीज और स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से कमजोर इम्युनिटी वालों और लंबे समय तक आईसीयू में रहने वालों पर ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा है। किसी दूसरी बीमारी से भी फंगल का खतरा बढ़ जाता है।





किस प्रकार होता हैं शरीर में दाखिल ?

स्वास्थ्य विशेषयज्ञों माने तो कोरोना से उबरे लोग हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से भी फंगस की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा स्किन पर चोट, रगड़ या फिर जले हुए भाग से भी यह शरीर में दाखिल हो सकता है।




ब्लैक फंगस के लक्षण क्या हैं ?

स्वास्थ्य विशेषयज्ञों के मुताबिक़ ब्लैक फंगस के लक्षण हैं, आँखों की रोशनी जाना, आखों में लालपन और दर्द, बुखार, खासी, सरदर्द, उलटी में खून आना या या मानसिक स्थिति में बदलाव से इसकी पहचान की जा सकती है। इसका खतरा ज्यादा तर पे डायबिटीज से पीड़ित लोगों को हैं | 




ब्लैक फंगस से बचाव के उपाए क्या हैं ?

एम्स निदेशक का कहना है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिये धूल वाली जगह पर मास्क पहनकर जाये। मिट्टी, काई के पास जाते समय जूते, ग्लब्स, फुल टीशर्ट और ट्राउजर पहने। डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है। एंटीबायोटिक्स या एंटीफंगल दवा का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए। स्टेरॉयड का उपयोग दस दिनों से अधिक नहीं किया जाना चाहिए। स्टेरॉयड का उपयोग होम आइसोलेशन के बाद नहीं करें।



कैसे होगा इसका उपचार?

विशेषयज्ञों के मुताबिक़ ब्लैक फंगस फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिये केओएच टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से घबराएं नहीं। तुंरत इलाज शुरू होने पर रोग से निजात मिल जाती है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। मौजूदा वक्त में बीमारी से निपटने के लिये सुरक्षित सिस्टम नहीं है। सतर्कता ही बचाव का एकमात्र उपाय है। बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर इसका असर देखने को मिला है।


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