क्या हैं वाइट फंगस ? कैसे होता हैं ? जाने हिंदी में | What is White Fungus? In Hindi

एक तो भारत में कोरोना की दूसरी लहर जारी है जिसके चलते काफी लोगों ने अपने करीबियों को खो दिया हैं| वही दूसरी तरफ कोरोना के साथ-साथ Black Fungus भी अपना कहर दिखा रहा हैं जिसके चलते भारत के कई राज्यों में ब्लैक Black Fungus के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं | जिसके कारण भारत के कई राज्यों ने Black Fungus को एक महामरी घोषित कर दिया हैं | 



जहाँ हमारे देश के विज्ञानिक बीमारी को जड़ से खात्म्कारने की खोज कर रहे थे वही भारत में Black Fungus के साथ-साथ White Fungus के सक्रंमित मरीज भी देश के कई हिस्सों में आने लगे हैं | विशेषज्ञों की मने तो ये Black Fungus से भी अधिक ख़तरनाक हैं |


1. क्या हैं वाइट फंगस ? और कैसे होता हैं? What Is White Fungus?


ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती हैं जो नाक के माध्यम से शारीर के बाकि अंगों में प्रवेश करती हैं | ये Fungus हवा में होता हैं जो सांस के जरिए नाक में आता हैं | इसके अलावा शरीर के किसी कटे हुए अंग के संपर्क में अगर ये फंगस आता है तो संक्रमण हो जाता हैं, इसे Fungus को कैंडिडा भी कहेते हैं |


2. किन लोगों पे इसका असर अधिक होता है ?

डॉ. चतुर्वेदी की माने तो White Fungus का अधिक असर कोरोना से संक्रमित मरीजो जो ओक्शिजन सपोर्ट पे होते है उनको आधिक होता हैं, साथ ही कमजोर इमुनिटी, मधुमय, तथा HIB से पीड़ित मरीजो में इसका खतरा अधिक देखने को मिलता हैं | अगर ये बीमारी समय पे पकड में आज्ये तो इसका इलाज समय पे होने से इस बीमरी से बचा जा सकता हैं |



3. शरीर के किन अंगो पे होता हैं इसका असर ?

केजीएम्यू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर डॉक्टर शीतल वर्मा के अनुसार इसका असर शरीर के आखों, आँतों, गला,जीभ और लीवर में देखने को मिलता हैं | Fungus इन अंगों के सेल को नष्ट कर देता हैं, जिसके कारण ये अंग काम करना बंद कर देते हैं | ये इतनी तेजी से होता हैं की जब तक मरीज को कुछ समझ आता है उसे पहेले ये शरीर के अंगों को नष्ट कर चूका होता हैं | जिसके चलते कोरोना मरीज अगर कोरोना को मात दे भी दे तो शरीर के अन्य अंगों के फ़ैल होने कारण उसकी मौत हो जाती हैं |   




4. व्‍हाइट फंगस से कैसे बचा जा सकता है ?

डॉक्‍टर शीतल ने कहा इस Fungus से बचना आसान है। ऑक्‍सीजन सपोर्ट, वेंटीलेटर मरीजों के लिए यूज किए जा रहे उपकरण विशेषकर ट्यूब जीवाणु मुक्‍त होने चाहिए। मरीज के नाक या मुंह पर लगे उपकरण फंगलयुक्त हो ये सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा उन लोगों में इसका खतरा ज्यादा रहता है जो डायबिटीज के मरीज हैं, या फिर लंबे समय तक स्टेरॉयड ले रहे हैं। ऑक्‍सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर के लिए स्‍टरलादज वॉटर का प्रयोग करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस फंगस से मरीज को बचाने का एकमात्र उपाय है कि जो मरीज ऑक्‍सीजन सपोर्ट पर वह पूर्ण रूप से विषाणुमुक्‍त हो।

   


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